US Rate Hike: देश की आर्थिक स्थिती लगातार ठीक हो रही है इसी को लेकर भारत सरकार अथक प्रयास करने में लगी है। लेकिन अमेरिका में ब्याज की दरें लगातार बढती दिख रही हैं। इस हप्ते अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के द्वारा लगातार तीसरी बार इटरेस्ट रेट में इजाफा कर दिया है। जिसमें 0.75 फीसदी का इजाफा देखा गया है। ब्याज की दरों में तेजी न आने पर दुनिया भर की करेंसी डॉसर में मुकाबले काफी तेजी के साथ गिर रही हैं फेडरल रिजर्व का संकेत मिलने के बाद सारे इनवेस्टर्स अपनाअपना पैसा निकाल रहे हैं। और सिक्योरिटी के मुकाबले डॉलर में पैसा लगा रहे हैं। इसमें इनवेल्टर्स को काफी मुनाफा दिखआ रहा है जिससे सभी इसी में अपना-अपना पैसा लगा रहे हैं। इस कारण से सभी करेंसी का बुरा दौर चल रहा है। वहीं रुपये की बात करें तो इसकी वेल्यू में कुछ वक्त के लिए कम देखी गई है बता दें कि रुपया लगातार देखते ही देखते निचले-स्तर पर पहुच रहा है। आज के दिन शुरुआती कारोबार में रुपये के गिरने का रिकॉर्ड रहा है और यह अपने निचले स्तर पर चल रहा है।

81 के पार हुई रुपये की वैल्यू:US Rate Hike

आपको बता दें कि देश के रुपये की कीमत पहली बार 81 रुपये के पार पहुच गई है। लेकिन रुजर्व बैंक के सफल कारोबार के कारण रुपये अपने स्तर पर पहुचने में कायम रहा था। इससे अगस्त के माह में ऐसा पहली बार हुआ था कि जब रुपये की वेल्यू 80 के नीचे थी और आज उसकी वेल्यू 81 के स्तर को पार पहुंच गई है। वहीं आज की बात करें तो इसमें 39 पैसे की गिरावट के बाद यह 81.18 पर आ गया है। इससे पहले इसी हफ्ते गुरुवार को रुपये ने नया ऑल टाइम लो रिकॉर्ड बनाया था। बता दें कि जितनी तेजी से रुपये में गिरावट हो रही है कई अर्थशास्त्री मान रहे हैं कि रुपया डॉलर के मुकाबले 82 के पार पहुंच जाएंगा।

ऐसे गिरी रुपये की वैल्य़ू:US Rate Hike

जारी आंकड़ो को देखे तो इस साल में अभी तक 7 प्रतिशत रुपया कमजोर हो गया है। भारतीय सिक्के की वैल्यू डॉलर के मुकाबले लगातार कम देखी जा रही है। अभी कुछ करेंसी में डॉलर के लागातार मजबूती होने से रुपये की स्थिति कमजोर हो रही है। इसी में देखे तो काफी समय के बाद डॉलर के मुकाबले यूरो की वेल्यू कम हो गई है। जबकि यूरों हमेशा से डॉलर के ऊपर रहता आया है। वहीं भारतीय रुपये की बातत करें तो यह 2014 में करीब 25 फीसदी कमजोर देखा गया था। साल भर में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 74.54 के स्तर पर पहुच गया था।

इस वजह से बढ़ रहा है डॉलर:

आपको बता दें कि बदलते दौर में पूरी दुनिया मंदी से गुजर रही है और इसका जोखिम उठा रही है। अमेरिका की महगाई की बात करें तो यह 41 साल के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई है। वहीं मंदी को काबू करने के लिए फेडरल रिजर्व (Federal Reserve Rate Hike) काफी तेजी से ब्याज की दरों में इजाफा कर रही है। इसके बावजूद भी महगांई में काबू नही हआ रहा है। अमेरिका में ब्याज की दरों में इजाफे कालाभ डॉलर में मिल रहा है। अमेरिका ऑफिशियल रुप से मंदी में ग्रस्त हो चुका है। ब्रिट्रेन से लेकर कई देश की बड़ी अर्शव्यव्सथाएं मंदी की चपेट में आ रही हैं। और गिरने के मुहाने पर हैं इसी कारण मंदी के डर से विदेशी निवेशक सारा जमा पैसा निकाल रहे हैं। और सिक्योरिटी के तौर पर डॉलर में लगा रहे हैं। डॉलर वैसे भी काफी मजबूत करेंसी है। इसी कारण से कई साल के बाद यूरे से अधिक डॉलर की वैल्यू हो गई है। बता दें कि एक वक्त पहले यूरों अमेरिकी डॉलर से भी मजबूत करेंसी हुआ करता था। और अब डॉलर 20 सालों में सबसे मजबूत स्थिती पर पहुच गया है।

कमजोर रुपये का क्या है असर:

आपको बता दें कि किसी भी देश की करेंसी के कमजोर होने पर वह देश पर काफी इंपेक्ट पहुचता है। कमजोर रुपया होने पर आप पर क्याप्रभआव पड़ेगा। मान लीजिए कोई बच्चा विदेश में पढ़ रहा है और आप उसको भारत से रुपये भेजते हैं तो इसका आपका नुकसान होता है। क्यों कि डॉलर ग्लोबल करेंसी के रुप मे है। और तेजी के साथ मजबूत होती जा रही है। ऐसे में जो भी आप रुपये भेजते हैं तो वह डॉलर में कनवर्ट होने पर काफी कम वैल्यू के रुप में आंके जाएंगे। इससे आपको पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे भेजने होगें। और वहीं अगर कोई डॉलर में रुपये भेजता है तो इस बार आपको फायदा होगा जिससे आप अधिक से अधिक रकम प्राप्त कर पाएंगे।

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