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STP लेने के फायदे
- STP एसआईपी का ही एक प्रकार है जो निवेशकों को एक ही एसेट मैनेजमेंट कंपनी के एक स्कीम से दूसरे स्कीम में नियमित अंतराल पर एक निश्चित रकम ट्रांसफर करने की सुविधा देता है।
- यह सुविधा निवेशकों को अलग-अलग एसेट वर्गों के बीच बिना किसी रुकावट के स्विच करते हुए अपने इंवेस्टमेंट पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करने में मदद करती है। इससे उतार-चढ़ाव कम होता है और फाइनेंशियल गोल्स को हासिल करने में मदद मिलती है।उदाहरण के तौर पर समझिए, कोई निवेशक अपनी किसी प्रॉपर्टी को बेचकर 20 लाख रुपए की एकमुश्त कमाई करता है। वह अपनी पूरी रकम को मनी मार्केट या लिक्विड फंड में निवेश कर सकता है और फिर फंड हाउस को अगले 20 महीनों की अवधि में हर महीने एक लाख रुपये इक्विटी म्यूचुअल फंड में ट्रांसफर करने के लिए कह सकता है। इससे बाजार के उतार-चढ़ाव से निपटने और अधिग्रहण की लागत को कम करने में मदद मिलेगी।
- यह एक ऐसा प्लान है जो निवेशकों को यह सुविधा देता है कि म्यूचुअल फंड समय-समय पर एक स्कीम से राशि या यूनिट्स को उसी म्यूचुअल फंड हॉउस के किसी दूसरी स्कीम में ट्रांसफर कर सके। इस तरह नियमित रूप से आपकी राशि एक स्कीम से आपकी पसंद की दूसरी स्कीम में ट्रांसफर की जा सकती है।
STP के कितने प्रकार के होते हैं
कई तरह के एसटीपी होते हैं, जिनमें से आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी एक को चुन सकते हैं। उदाहरण के लिए, फिक्स्ड एसटीपी के तहत, निवेशक एक फंड से दूसरे फंड में एक निश्चित रकम ट्रांसफर करते हैं। कैपिटल एप्रिसिएशन एसटीपी में, निवेशक एक निवेश से होने वाले लाभ को दूसरे इंवेस्टमेंट फंड में निवेश करते हैं। इसी तरह, फ्लेक्सी एसटीपी में, निवेशक के पास एक परिवर्तनीय राशि चुनने का विकल्प होता है। फिक्स्ड राशि एक न्यूनतम राशि होती है और परिवर्तनीय राशि बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती है।
एसटीपी और एसआईपी में बेहतर कौन ?
जैसा कि ऊपर समझाया गया है, एसटीपी असल में एक एसआईपी की तरह ही काम करता है जहां एक निश्चित राशि किसी विशेष फंड में निवेश की जाती है। हालांकि, अगर आपके पास निवेश करने के लिए एकमुश्त राशि है तो इसे एसटीपी के जरिए निवेश करना बेहतर है। इसलिए, कम जोखिम वाले डेट फंड में एकमुश्त निवेश करना और फिर अपनी पसंद के इक्विटी फंड में एसटीपी शेड्यूल करना बेहतर होगा। हालांकि, अगर पैसा कुछ निश्चित अंतराल से पहले निकाला जाता है।
आमतौर पर इक्विटी फंड के लिए एक साल निवेशकों को म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा लगाए गए एग्जिट लोड चार्ज की जांच करनी चाहिए। हालांकि, लिक्विड फंड पर कोई एग्जिट लोड नहीं होता है और ज्यादातर एसटीपी बिना किसी एग्जिट लोड के लिक्विड फंड से इक्विटी फंड में पैसा ट्रांसफर करते हैं। कुल-मिलाकर यह कहा जा सकता है कि एसटीपी और एसआईपी निवेश के दो अलग-अलग तरीके हैं. दोनों के ही अपने फायदे और नुकसान हैं। एसटीपी उन निवेशकों के लिए बेहतर है जिनके हाथ में एकमुश्त रकम है और जो लागत औसत और उतार-चढ़ाव का लाभ उठाना चाहते हैं
STP इस तरह करता है काम
मान लीजिए आप दो लाख रुपये निवेश करना चाहते हैं लेकिन शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव को देखते हुए आप STP का विकल्प अपनाते हैं। आप तय करते हैं कि दो लाख रुपये में हर महीने दस हजार रुपये इक्विटी फंड चला जाएगा। इस तरह एक लाख नब्बे हजार रुपये डेट फंड में रहता है बाकी दस हजार रुपये इक्विटी फंड में निवेश होता रहता है।
इस तरह आपने जो रकम इक्विटी फंड में ट्रांसफर किया है, उस पर भी आपको कमाई होगी और डेट फंड में निवेश की हुई रकम पर भी एक तरह से यह जोखिम को बांट लेने जैसा है। इससे मुश्किल आर्थिक हालात यानी इकनॉमी में उतार-चढ़ाव की वजह से म्यूचुअल फंड में आई अस्थिरता से आप खुद का काफी हद तक बचाव कर लेते हैं।
STP लेने का सही समय
शेयर मार्केट में मौजूदा अनिश्चितता की स्थिति को देखते हुए निवेशकों को एसटीपी का विकल्प आजमाना चाहिए. एक्सपर्ट्स का मानना है कि फिलहाल ब्याज दरों के निचले स्तर की वजह से डेट फंडों में बेहतर रिटर्न की गुंजाइश है। लेकिन आने वाले दिनों में इक्विटी मार्केट में अच्छी रिकवरी हो सकती है। इसलिए इस वक्त डेट फंड में अपना निवेश बरकरार रखते हुए धीरे-धीरे अपना पूरा निवेश लार्जकैप फंड, मल्टीकैप फंड और लॉर्ज एंड मिडकैप फंड में ट्रांसफर कर देना चाहिए।