हेमा जोशी, नई दिल्ली: UGC Two Degree Programme: यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने कहा कि यह बदलाव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति– 2020 के अनुरूप है। नई शिक्षा नीति में छात्रों को अपनी इच्छानुसार पढ़ने के लिए अधिक से अधिक रुप से आजादी प्रदान करने बात कही गई है।
अब छात्र एक साथ दो डिग्री कोर्सों की पढ़ाई आसानी से कर सकेंगे। यह कोर्स या तो सुबह और शाम की पाली में हो सकते हैं या फिर एक फिजिकल मोड में तो दूसरा आनलाइन मोड में हो सकता है। दोनों कोर्स की पढ़ाई का मोड Online भी हो सकती है। ऐसा इसलिए किया गया है कि ताकि फिजिकल मोड में ही दो कोर्सों में दाखिला लेने में छात्रों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। हालांकि इस तरह का कोर्स कराना या नहीं कराना विश्वविद्यालयों की खुद की मर्जी पर होगा। अगले एक-दो दिनों में इसे लेकर गाइडलाइन जारी कर दी जाएगी।
UGC और अन्य उच्च शिक्षा नियामकों की ओर से दोनों कार्यक्रमों को समान तौर पर मान्यता दी जाएगी। UGC के Chairman Professor M Jagadesh Kumar के अनुसार यह कहा गया है की यह परिवर्तन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के मुताबिक़ है। नई शिक्षा नीति में छात्रों को अपनी इच्छानुसार पढ़ने के लिए अधिक से अधिक स्वत्रता देने की बात कही गई है। यह कदम उसी की दिशा की ओर एक छोटी सी पहल है।
ये भी पढ़ें: Ukraine-Russia: वॉर की वजह से भारत की GDP में आ सकती है 1.3 फीसदी की कमी, World bank ने दी जानकारी
डिग्री, डिप्लोमा और अन्य पाठ्यक्रम चुनने की आजादी UGC Two Degree Programm
प्रो कुमार ने कहा कि इससे पहले, यूजीसी के नियमों ने छात्रों को दो फुल टाइम कार्यक्रमों को एक साथ करने की अनुमति नहीं दी थी। पहले सिर्फ वे केवल ऑनलाइन/ पार्ट टाइम/ डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के साथ एक फुल टाइम डिग्री प्राप्त कर सकते थे। लेकिन अब दो फुल टाइम डिग्री कार्यक्रम जैसे बीए या बीएससी और बीकॉम, एमकॉम, एमएससी और एमबीए आदि साथ कर सकते हैं। या फिर आईआईटी का छात्र भी कुछ और डिप्लोमा या हिस्ट्री से जुड़ा कोर्स, या डेटा सांइस आदि डिप्लोमा भी साथ कर सकता है।
सभी कोर्सों के स्तर पर होगी लागू
इस पहल से छात्रों का समय बचेगा। वह एक साथ ही दो अलग-अलग विश्वविद्यालयों से दो अलग-अलग कोर्सों की पढ़ाई कर सकेंगे। यह पहल सभी कोर्सों के स्तर पर लागू होगी। यानी स्नातक, परास्नातक और सर्टिफिकेट जैसे कोर्स भी इनमें शामिल होंगे। बता दें कि यूजीसी ने हाल ही में एनईपी की सिफारिश के पालन में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराने का एलान किया है। जिसे सीयूईटी (कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट) नाम दिया गया है। सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में इसी के तहत दाखिल दिया जाएगा।
ये भी पढ़ें: Inflation: अब तक सिर्फ तेल और गैस हो रही थी महंगी, अब दवाईयों पर भी होगा ऐसा
एमफिल और पीएचडी एक पाठ्यक्रम में नहीं शामिल
UGC के Chairman Professor M Jagadesh Kumar का कहना है कि नई गाइडलाइन के अनुसार, Students विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, मानविकी और अलग – अलग प्रकार के विषयों जैसे डोमेन में दो डिग्री कार्यक्रमों करने में सक्षम होंगे। इन दिशा-निर्देशों को अपनाना विश्वविद्यालयों के लिए वैकल्पिक है और विश्वविद्यालयों के वैधानिक निकायों के अनुमोदन के बाद ही इसे लागू किया जा सकता है। प्रत्येक कार्यक्रम के लिए पात्रता मानदंड यथावत रहेंगे और प्रवेश मौजूदा यूजीसी, विश्वविद्यालय के मानदंडों के आधार पर आयोजित किया जाएगा। प्रो कुमार ने स्पष्ट तौर पर बताया कि एमफिल और पीएचडी कार्यक्रम दोनों Masters डिग्री हैं लेकिन यह दोनों एक प्रोग्राम में शामिल नही होगें।
विद्यार्थीयों को डिग्री और संस्थान चुनने के लिए आजादी
यूजीसी अध्यक्ष ने बताया कि योजना लेक्चर बेस्ड पाठ्यक्रमों के लिए लागू होगी। सभी विश्वविद्यालय अपने स्तर पर ऐसी पहल शुरू कर सकते हैं। उन्हें इस बारे में यूजीसी और अन्य नियामकों को सिर्फ सूचित करना होगा। विद्यार्थी भी अपने स्तर पर डिग्री और संस्थान को चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे। पढ़ाई के दौरान फलेक्सिबिलिटी बढ़ेगी। इस संबंध में जल्द ही यूजीसी की ओर से जल्द विस्तृत अधिसूचना और नियमावली जारी की जाएगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने इसके संबंध में दिशा-निर्देशों का एक सेट तैयार किया है, जिसे बुधवार, 13 अप्रैल को यूजीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी कर दिया जाएगा।