हेमा जोशी, नई दिल्ली: Oil Import: भारत के मार्च माह में खत्म हुए वित्तीय वर्ष 2021-22 में कच्चे तेल के खरीद पर लागत लगभग दोगुना होकर 119 अरब डॉलर पर पहुंच गयी। इसका मुख्य कारण कच्चे तेल की मांग का बढ़ना और यूक्रेन में हो रहे युद्ध के कारण ग्लोबल स्तर पर ऊर्जा के दामों में वृद्धि हुई है। जबकि भारत देश तेल की खपत और आयात करने में दुनिया में तीसरे सबसे बड़े देश में से एक है।
भारत के मार्च माह में खत्म हुए वित्तीय वर्ष 2021-22 में कच्चे तेल के खरीद पर लागत लगभग दोगुना होकर 119 अरब डॉलर पर पहुंच गयी। इसका मुख्य कारण कच्चे तेल की मांग का बढ़ना और यूक्रेन में हो रहे युद्ध के कारण ग्लोबल स्तर पर ऊर्जा के दामों में वृद्धि हुई है। जबकि भारत देश तेल की खपत और आयात करने में दुनिया में तीसरे सबसे बड़े देश में से एक है।
इस साल यानि फरवरी में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल हो गई है। इस तरह अनुमान है कि वर्तमान financial year के आखिर तक भारत का तेल इंपोर्ट बिल दोगुना होकर 110 से 115 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा। भारत अपने देश में जरूरत को पूरा करने क् लिए 85 फीसदी कच्चे तेल को आयात से पूरा करता है। इंम्पोर्ट कच्चे तेल को तेल रिफाइनरियों में वाहनों और दूसरे प्रयोग के लिए पेट्रोल और डीजल जैसे मूल्यवर्धित उत्पादों में बढ़ता जाता है। भारत के पास दूसरी शोधन क्षमता भी है जिससे कुछ पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करता है परन्तु रसोई गैस LPG का उत्पादन यहां कम है, जिसे अरब देश यानि सऊदी अरब जैसे देशों से आयात किया जाता है।
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मंत्रालय ने दी जानकारी
तेल मंत्रालय ministry of petroleum के Petroleum Planning & Analysis Cell (PPAC) के अनुसार, इस financial year 2021-22 के पहले 10 महीने (अप्रैल से जनवरी) में भारत ने कच्चे तेल के आयात पर 94.3 अरब डॉलर खर्च किए है। सिर्फ जनवरी में कच्चे तेल के इंपोर्ट पर 11.6 अरब डॉलर खर्च हुए है। पिछले साल 2021 जनवरी में भारत ने कच्चे तेल के इंपोर्ट पर 7.7 अरब डॉलर खर्च किए थे।
14 साल में सबसे अधिक पहुंचे दाम
मार्च महीने में जब तेल की कीमतें 14 साल के अधिक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची, तब सिर्फ इसी माह में ही भारत ने oil imports पर 13.7 अरब डॉलर खर्च किए थे जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह खर्च 8.4 अरब डॉलर था।
100 डॉलर के पार पहुंचा कच्चा तेल
वैश्विक स्तर पर तेल की कीमत जनवरी से बढ़ने शुरू हो गए थी। इस साल फरवरी में ये 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गए थे। मार्च महीने शुरूआत में तेल के दाम 140 डॉलर प्रति बैरल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए थे। बता दें इसके बाद तेल की कीमतों में गिरावट आने लगी और अब ये 106 डॉलर प्रति बैरल पर है।
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भारत ने कच्चे तेल का किया आयात
PPAC की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत ने 21.221 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया, जबकि इससे पहले वर्ष 19.65 करोड़ टन तेल आयात किया था। हालांकि, कोरोना महामारी से पहले के साल 2019-20 में 22.7 करोड़ टन तेल आयात किया गया था। उस दौरान तेल आयात पर 101.4 अरब डॉलर खर्च हुए थे। भारत अपने 85.5 प्रतिशत कच्चे तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर रहता है।
आयात पर निर्भरता 85 फीसदी
पीपीएसी के अनिसार, वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारत की तेल आयात पर निर्भरता 85 फीसदी थी जोकि इसके बाद के साल में गिरकर 84.4 प्रतिशत हो गई, लेकिन वित्तीय वर्ष 2021-22 में यह एक बार फिर 85.5 प्रतिशत वृद्धि पर पहुंच गई।
पिछले 10 महीनों में घरेलू तेल उत्पादन 2.38 करोड़ टन
कच्चे तेल में पूर्ति ना होने के कारण काफी लोग प्रभावित हुए हैं। घरेलू उत्पादन बजार में लगातार गिरावट की वजह से भारत का इपोर्ट प्रक्रिया बढ़ी है। पहले देश में कच्चे तेल का उत्पादन 2019-20 में 3.05 करोड़ टन था। जोकि अगले साल कम होकर 2.91 करोड़ टन रह गया। पिछले साल 10 महीने में भारत का कच्चे तेल का उत्पादन 2.38 करोड़ टन रहा है जो कि यह अब .44 करोड़ टन रहा था।