Bisleri History: देश की सबसे बड़ी पैक्ड वाटर कंपनी बिसलेरी को नया मालिक मिलने वाला है। अभी तक इसका नेतृत्व कर रहे रमेश चौहान ने इसको बेचने का फैसला कर लिया है। मीडिया की खबरों को मानें तो बिसरेली की डील टाटा ग्रुप (Tata Group) के साथ डील हुई है। इसकी खास बात यह है कि इस कंपनी को बिजनेस फैमली से ताल्लुख रखने वाले रमेश चौहान ने सिर्फ 4 लाख रुपये में खरीदा था। और 2022 मं इसका सौदा 6,000 से 7000 करोड़ में होने का अंंदाजा लगाया जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बिसलेरी कंपनी की शुरुआत कैसे हुई थी। ये कहानी काफी दिलचस्प है जिसको जानना काफी जरुरी है।

सबसे पॉपुलर वाटर ब्रांड: Bisleri History

इस कंपनी का नाम भारत में इतना पॉपुलर हो चुका है कि पैक्ड वाटर खरीदने के लिए खरीददार साधारण सी बोलचाल में इसी का नाम लेते हैं। इस कंपनी का पानी 8 पैक साइडज में मार्केट में उपलब्ध है। इसकी 250 एमएल, 500एमएल, 1लीटर, 1.5लीटर, 2लीटर, 5लीटर और 20लीटर बोतल मिलती है। पैकेज्ड वाटर के ऑर्गेजनाइड मार्केट में बिसलेरी की साझेदारी करीब 32 प्रतिशत है। फिलहाल कंपनी की कमान 82 साल के रमेश चौहान संभाल रहे हैं।

इटली से भारत कैसे आई Bisleri:

आपको बता दें कि Bisleri आमतौर पर इटली की कंपनी है। इसके इतिहास के बारे में जानें तो यह कंपनी शुरुआत में पानी नही बेचती थी। जबकि Bisleri एक दवा बेचने वाली कंपनी थी। जो कि मलेरिया की दवा बनाती थी। इस कंपनी के संस्थापक इटली के बिजनेस मैन Felice Bisleri थे उनकी मौत के बाद उनकी परिवारिक डॉक्टर रॉसी ने बिसलेरी को आगे लाने का प्रयास किया और कंपनी की सारी जिम्मेदारी उठाई। भारत में बिसलेरी के पहचान को बनाने में रॉसी का बड़ा हाथ है। दरअसल फेलिसे के द्वारा बिसलेरी के नाम से पानी बेचने की योजना बनाई गई थी। उनके इस प्लान को डॉक्टर रॉसी ने भारत में अपने जानने वाले खुशरू संतकू नाम के वकील के साथ मिलकर बिसलेरी को पानी का बिजनेस करने के लिए लॉन्च किया था।

पानी बेचने पर लोगों ने दी ये राय:

बात 60 के दशक की है जब इसकी भारत में एंट्री हुई थी। इस समय पैकेज्ड पानी बेचने के बारे में सोचना काफी पागलपन जैसा था। क्यों कि उस समय लोगों को लगता था कि कौन बंद बोतल का पानी खरीदेगा। और इसको पीएगा। लेकिन डॉक्टर अपने प्लान में कामयाब हो गई और अपने काम को जारी ऱखा। साल 1965 में उन्होंने Mumbai के ठाणे में पहला ‘बिसलेरी वॉटर प्लांट’ स्थापित किया था उस दौरान कांच की बोतलों में फिलटर् पानी बेचना शुरु हो गया था। इन्हें बिसलेरी बब्ली और बिसलेरी स्टिल के रूप में मार्केट में पेश किया गया था।

कांच की बोतल में मिलता था पानी:

इसके बाद साल 1969 में पारले ने बिसलेरी इंडिया लिमिटेड को खरीद लिया और ‘Bisleri’ ब्रांड नाम से कांच की बोतलों में ही पानी को बेचना जारी रखा। बिजनेस को बढाने के लिए पारले ने नॉन-रिटर्न बोतलों का इस्तेमाल करना शुरु कर दिया, और PET Conteners का उपयोग किया। इसके बाद 1995 में रमेश जे चौहान ने बिसलेरी को आगे बढाने की जिम्मेदारी को संभाला। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रमेश चौहान ने बिसलेरी को इस मकसद से खरीदा कि इस ब्रांड को वो सोड़ा ब्रांड में बदलेंगे, और उन्होंने ये मुमकिन भी किया। लेकिन बोतल के बंद पानी वाले ब्रांडस ‘बब्ली’ और ‘स्टिल’ को बंद नहीं किया।

आज है सबसे बड़ा ब्रांड:

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पारले ने बिसलेरी को उस समय सिर्फ 4 लाऱ रुपये में खरीदा गया था और इसके सिर्फ 5 स्टोर थे। वहीं आज देश में पैकेज्ड पानी का बाजार 2 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसमें से 60 प्रतिशत भाग अनऑर्गेनाइज्ड है। बिस्लेरी की ऑर्गेनाइज्ड मार्केट में हिस्सेदारी करीब 32 प्रतिशत है। वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, आज देश में बिसलेरी के 122 से ज्यादा ऑपरेशनल प्लांट हैं। जबकि पूरे देश में लगभग 5 हजार ट्रकों के साथ 4500 से ज्यादा इसका डिस्ट्रीब्यूटर नेटवर्क है।

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