Expert Views After August 2022 Retail Inflation Data : अगस्त माह में फुटकर महगांई (CPI Inflation) दर बढकर 7 प्रतिशत होने का मुख्य कारण फूड इंफ्लेशन मतलब इंफ्लेशन खाने पीने की चीजों की कीमतों में काफी इजाफा देखा जा रहा है। लेकिन इसका कारण कुछ भी हो सकता है चिंता का कारण यह है कि महगांई दर में रिजर्व बैंक लगातार 8 माह में 6 फीसदी के फिक्स लक्ष्य को नही पा सका है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महगांई पर कंट्रोल करने के लिए रेपो रेट (Repo Rate) में लगातार बढ़ोतरी की है। ऐसे में अब यह भी सवाल उठता है कि क्या RBI आगामी दिनों में और रेपों रेट में इजाफा कर सकता है। महगाई दर के आने के बाद एक्सपर्ट ने इसकी जानकारी लेकर अपनी राय व्यक्त की है। तो आईए जानते हैं एक्सपर्ट की राय के बारे में क्या कहते हैं।

साक्षी गुप्ता, प्रिंसिपल इकॉनमिस्ट, HDFC BANK

HDFC BANK की प्रिंसिपल इकॉनमिस्ट साक्षी गुप्ता के अनुसार, महगाई दर की इस समय के हालात को देखकर इसकी स्थति के बारे में बता रही हैं कि इंफ्वलेशन में लगातार दबाव बना है। कि रिजर्व बैंक अपनी आने वाली नीति में ब्याज की दरों में 50 बेसिस प्वाइंट्स में बढ़ोतरी कर सकती हैं। उनका यह कहना है कि रिजर्व बैंक का फोकस भले ही घरेलू हालात पर रहेगा। लेकिन वैश्विक बाजार पर लिक्वडिटी कम करने क प्रयास इस रुपये को संभालने के लिए ब्याज दरों में इजाफा का सिलसिला जारी रखना पड़ सकता है।

Societe Generale, कुणाल कुंडू, इंडिया इकॉनमिस्ट

कुणाल कुंडू, इंडिया इकॉनमिस्ट, Societe Generale का कहना है कि महगांई दर के ताजा हालात को देखते हुए RBI अपनी ब्याज की दरो में इजाफे का सिलसिला जारी रखेगी। इसको लेकर उनका कहना है कि आरबीआई रेपो रेट में अभी और साठ बेसिस प्वाइंट में इजाफा कर सकता है। लेकिन इसके उपरांत आरबीआई को ब्याज दरों में इजाफा करने का सिलसिले को रोककर इसकी बढ़ोतरी के बारे में सोचना होगा। यह इसलिए है कि रोजगार के बारे में देखे तो मौजूदा समय में इसकी स्थति अच्छी नही है।

गरिमा कपूर, इकॉनमिस्ट, एलारा कैपिटल

गरिमा कपूर, इकॉनमिस्ट के अनुसार, उनके अनुसार महगांई दरों की प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगस्त के माह में CPO में उतार-चढाव में बड़े कारण से खाध कीमतों में इजाफा हुआ है। मौसम की अनिश्चितता के बाद आगामी दिनों मे धान जैसे कुछ माल की कमी की अनुमान ने दामों को काफी तेज कर दिया है। जबकि ईधन फ्यूल की कीमत में कुछ कमी के बाद खाने-पीने के समान की कीमतों में आई कमी से कुछ भरपाई की जा सकती है।
गरिमा कपूर के अनुसार, हाल ही के दिनों में माल की कीमतों कुछ करेक्शन दिखा है। जो कि अब खुदरा दामों में दिखने लगा है। इसका प्रभाव भविष्य में दिख सकता है। इसके बावजूद इस फाइनेंसियल ईयर की 4 तिमाही रिटेल महगाईं 6 प्रतिशत से नीचे रह सकती है। इसके बाद उन्होंने कहा कि आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) नेक्स्ट के समय रेपोरेट में 25 से 35 प्वाइंट्स में इजाफा दिख सकता है।

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